राज्य के विद्युत पहुंचविहीन क्षेत्रों के कृषकों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयोजन से राज्य शासन द्वारा सौर सुजला योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजनांतर्गत अब तक 3 एच.पी. एवं 5 एच.पी. क्षमता के कुल 1,57,225 से अधिक सोलर पम्पों की स्थापना की गई है।

पहुँचविहीन ग्राम जहाँ विद्युत प्रदाय न होने के कारण पम्प की स्थापना किया जाना संभव नहीं था ऐसे स्थलों में क्रेडा द्वारा सोलर हैंड पम्प की स्थापना की गई है। सोलर पम्प (ऊँचाई 6 मीटर) से ग्राम वासियों को 24 घंटे जल उपलब्ध हो जाता है तथा उन्हें पानी लाने हेतु दूर नहीं जाना पड़ता। अब तक कुल 13,557 नग सोलर पम्पों (कुल क्षमता 10983.45 कि.वॉ.) की स्थापना की जा चुकी है।

जल जीवन मिशन योजना

जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश के समस्त ग्रामों के हर घर तक स्वच्छ पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से जल जीवन मिशन योजना की शुरूआत की गई है। मिशन का लक्ष्य 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ गुणवत्तापूर्ण पानी उपलब्ध कराना है। क्रेडा द्वारा इस योजनांतर्गत 9 मीटर एवं 12 मीटर ऊंचाई तथा 10,000 लीटर क्षमता की पानी टंकी स्थापित कर पेयजल की आपूर्ति की जाती है। क्रेडा द्वारा इस योजनांतर्गत अब तक कुल 9351नग सोलर पम्पों (कुल क्षमता 11221.2 कि.वॉ.) की स्थापना की गई है।

राज्य में ऐसे लघु एवं सीमांत कृषकों की संख्या बहुत अधिक है जिनके पास कृषि भूमि उपलब्ध होने के बावजूद वे उचित सिंचाई व्यवस्था के अभाव में केवल वर्षा के जल पर ही निर्भर रहते हैं एवं साल में केवल एक ही फसल ले पाते हैं। ऐसे लघु व सीमांत कृृषकों के समूहों, जिनकी कृषि भूमि सतही जलस्त्रोत के निकट है, का चयन कर सामुदायिक रूप से उन्हें सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती है तथा वे साल में एक से अधिक फसलों हेतु कृषि कर सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। अब तक कुल 230 परियोजनाओं में 340 सिंचाई पम्पों की स्थापना की गई (कुल क्षमता 2625.64 कि.वॉ.) जिससे 2851 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जा रही है, जिससे लगभग 2740 हितग्राही लाभान्वित हैं।

छत्तीसगढ़ ग्रामों से परिपूर्ण प्रदेश है, यहां की अधिकतम आबादी ग्रामों में निवास करती है। राज्य के लगभग सभी ग्रामों में पर्याप्त संख्या में तालाब निर्मित हैं। ये तालाब न केवल ग्रामों की सुंदरता को बढ़ाते है, अपितु ग्रामीणों के रोजमर्रा के निस्तारी हेतु जल की जरूरत को भी पूरा करते है, जैसे सामान्यतः ग्रामों में निवासरत् परिवार स्नान के साथ-साथ कपड़े धोने हेतु आवश्यक जल की पूर्ति तालाब से ही करते हैं, जंगली पशु-पक्षी तो तालाबों पर निर्भर रहते ही हैं साथ ही ग्रामीणों के मवेशी भी तालाब का ही पानी पीते हैं, इन मवेशियों के रोजाना साफ-सफाई के लिए आवश्यक जल की पूर्ति भी इन्हीं तालाबों के माध्यम से ही संभव हो पाती है। गांवों में तालाबों का महत्व बहुत अधिक है, ग्रामों की संस्कृति तालाब से जुड़ी होती है और यह ग्रामीणों का अभिन्न अंग है।

जिस प्रकार राज्य में तालाबों की संख्या बहुतायत में है ठीक उसी प्रकार नदी-नाले एवं अन्य सतही जलस्त्रोतों की संख्या भी राज्य में बहुत अधिक है, राज्य में नदियों के प्रवाह क्षेत्र में नदी के जल को एकत्रित करने के उद्देश्य से काफी मात्रा में एनीकट एवं बैराज भी निर्मित किये गये हैं जिनमें से बहुत से एनीकटों में साल भर जल उपलब्ध रहता है, इसके ठीक विपरीत ग्रामों के तालाबों में साल भर जल उपलब्ध नहीं हो पाता कुछ तालाब तो जनवरी-फरवरी माह में ही सूख जाते हैं। इन कारणों से विभिन्न प्रयोजनों हेतु उन तालाबों पर आश्रित ग्रामीणों को विकट समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण व्यवस्थाओं को साल भर सुचारू ढंग से चलायमान रखने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि ग्रामों के निकट स्थित नदी/एनीकटों में उपलब्ध जल से उक्त ग्रामों के तालाबों को सौर प्रणाली के माध्यम से भरा जाए।

उपरोक्त व्यवस्था हेतु 10 एच.पी. क्षमता के 02 नग सोलर पम्पों की स्थापना ग्रामों के निकट नदी/एनीकटों में कर उनमें उपलब्ध जल को लिफ्ट कर अण्डरग्राऊंड पाईप लाईन के माध्यम से तालाबों को भरे जाने की योजना है। अब तक कुल 34 ग्रामों के 49 तालाबों को भरे जाने का कार्य पूर्ण हो गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है। यहाँ के भूमिगत जल में टीडीएस, आयरन एवं फ्लोराईड की मात्रा अधिक है। अतः कई क्षेत्रों में भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है तथा दूषित जल के उपयोग से डायरिया एवं पीलिया जैसी अनेक बीमारियां होने की संभावना होती है।
क्रेडा द्वारा शुद्ध पेयजल प्रदाय हेतु राज्य में अब तक कुल 328 नग सौर ऊर्जा आधारित वॉटर प्यूरिफिकेशन संयंत्र की स्थापना की जा चुकी है, जिसकी कुल क्षमता 275.1 कि.वॉ. है।

क्रेडा द्वारा राज्य के ग्रामों, कस्बों, निकायों, शहरों के मुख्य चैराहों/सार्वजनिक स्थलों में प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध कराए जाने के दृृष्टिकोण से सोलर हाई मास्ट संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। इन संयंत्रों की सुंदरता व बाधा रहित प्रकाश व्यवस्था के कारण यह संयंत्र अत्यंत लोकप्रिय हो चुका है। इससे रात्रिकालीन आवागमन सुरक्षित हो रही है। इन संयंत्रों की स्थापना से अंधकार के कारण होने वाली दुर्घटनाओं एवं अपराधों में कमी लाई जा सकती है। राज्य में अब तक 5863 नग सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है।

राज्य के ऐसे स्थल जहां विद्युत का प्रदाय नियमित रूप से संभव नहीं है अथवा प्रायः वोल्टेज फ्ल्कचुवेशन की स्थिति बनी रहती है, ऐसे स्थलों में सोलर कोल्ड स्टोरेज संयंत्र सब्जियां, फल एवं फूल इत्यादि के स्टोरेज हेतु अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। राज्य में अब तक कुल 65 नग सोलर कोल्ड स्टोरेज की स्थापना की जा चुकी है, जिसकी कुल क्षमता 320.5 कि.वॉ. है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफ टॉप योजना के तहत् राज्य के शासकीय एवं निजी भवनों की छतों पर ग्रिड कनेक्टेड सौर संयंत्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) माध्यम से की जा रही है। उक्त परियोजना के तहत् भवनों में उपभोग की विद्युत क्षमता एव छतों पर उपलब्ध क्षेत्रफल के आधार पर न्यूनतम 1 किलोवाट से अधिकतम कॉनट्रॉक्ट डिमांड क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना की जाती है।

ऐसे क्षेत्र जिसमें निर्बाध रूप से दिन के समय बिजली की आपूर्ति होती है और दिन के समय बिजली की जरूरतों का उपयोग किया जाता है वहाँ ग्रिड सोलर पावरप्लांट (बैटरी रहित संयंत्र) का उपयोग कर बिजली ग्रिड में दी जा सकती है। अब तक कुल 32.6702 मेगावॉट क्षमता के 349 रूफटॉप ग्रिड कनेक्टेड सौर संयंत्रों की स्थापना विभिन्न शासकीय कार्यालयों, अस्पतालों, राज्य शासन के मुख्यालयों, शिक्षण संस्थाओं एवं निजी संस्थाओं में की जा चुकी है। जिससे प्रतिवर्ष 47.26 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है।

प्रदेश के विद्युत वितरण कंपनी के उपभोक्ताओं के घरों पर उपभोक्ता की विद्युत मांग अनुसार ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप सौर संयंत्र की स्थापना हेतु ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफ टॉप योजना लागु किया गया है। निम्नलिखित उद्देश्यों के पूर्ति हेतु किया गया हैः-

  • राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर सोलर पावर उपलब्ध कराना।
  • राज्य में डी-सेन्ट्रालाइज़ेड सोलर पावर उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन इनर्जी) को प्रोत्साहित कर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में योगदान देना।
  • छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा सी.एस.पी.डी.सी.एल. हेतु समय-समय पर अधिसूचित रिन्यूवेबल पावर ओब्लीगेशन के अंतर्गत सोलर पॉवर के क्रय की बाध्यता को पूरा करने के लिए सार्थक पहल सुनिश्चित करना।
  • ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पारंपरिक स्त्रोत आधारित विद्युत की खपत पर निर्भरता कम करने के लिये विद्युत उपभोक्ताओं के मध्य जागरूकता लाना एवं सोलर पावर प्लांट के उपयोग को प्रोत्साहित करना।

Apply for Grid Connected Solar Rooftop Plant

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के तहत् राज्य में वृहद स्तर के ग्रिड कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट स्थापित किये गये हैं उक्त प्लांट से उत्पादित विद्युत ग्रिड मे प्रवाहित की जा रही है।

सोलर पावर प्लांट से उत्पादित विद्युत ग्रिड मे प्रवाहित किए जाने से कोयला आधारित विद्युत की निर्भरता कम होगी तथा वायु में कार्बन डायआक्साईड, कार्बन मोनोआक्साईड तथा अन्य ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी जो कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में सहायक होगा। अब तक कुल 964.128 मेगावॉट क्षमता के वृहद् स्तर के 72 ग्रिड कनेक्टेड सोलर पॉवर प्लांट स्थापित किये गये हैं।

प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रो, आश्रमों/छात्रावासों, शालाओं, पुलिस थानों, शासकीय भवनों, घरेलू, व्यवसायिक परिसर, संस्थागत तथा सामुदायिक स्थलों में ऑफग्रिड रूफटाॅप सौर संयंत्रों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है। इस योजना अंतर्गत योग्य अनुदान उपरांत शेष हितग्राही अंश प्राप्त कर संयंत्रों की स्थापना का कार्य किया जाता है। सौर संयंत्रों की स्थापना से न सिर्फ प्रकाश व्यवस्था की जा रही है बल्कि ऊर्जा संरक्षण भी किया जा रहा है। क्रेडा के गठन उपरांत अब तक कुल 6895 नग (क्षमता 20.867 मेगवॉट) संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है।

शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों/अस्पतालों में सोलर पावर प्लांटों की स्थापना

स्वास्थ्य केन्द्रों में जीवन रक्षक मशीनें तथा वैक्सीन इत्यादि उपयोग की जाती है जिन्हें अबाधित विद्युत प्रदाय की आवश्यकता होती है। विद्युत प्रदाय बाधित होने तथा वोल्टेज अप-डाऊन की समस्या दूर करने हेतु स्वास्थ्य केन्द्रों का सौर विद्युतीकरण किया गया है। राज्य में अब तक कुल 1531 शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों/अस्पतालों में सोलर पॉवर प्लांटों की स्थापना की गई है, जिसकी क्षमता 4.842 मेगावॉट है। इससे प्रतिवर्ष 7069320 किलोवाट घंटा (यूनिट) बिजली का उत्पादन होता है।

सौभाग्य, डी.डी.यू.जी.जे.वाय. एवं ग्रामीण विद्युतीकरण योजना

विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार समस्त अविद्युतीकृत ग्राम/मजरे-टोलों/ बसाहटों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। राज्य के कई ऐसे मजरे-टोले हैं, जहाँ के निवासरत् ग्रामीण बिजली न होने के कारण भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित थे। जिनका विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है। अब तक राज्य में 1,38,000 से अधिक घरों का सोलर विद्युतीकरण किया जा चुका है, जिसमें 941 गांव शामिल हैं।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत्् जनसामान्य को स्वच्छ एवं स्वस्थ ईंधन का उपयोग कर भोजन निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बायोगैस संयंत्र आधारित परियोजना का क्रियान्वयन राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना का एक मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के कृषकों को उन्नत व उत्तम गुणवत्ता की खाद उपलब्ध कराना भी है। बायोगैस संयंत्र का उपयोग कर जलाऊ लकड़ी, एल.पी.जी., कैरोसिन आदि की बचत की जा सकती है। अभी तक क्रेडा द्वारा लगभग 60265 घरेलू बायोगैस संयंत्रों का निर्माण प्रदेश में किया गया है। (कुल क्षमता 1,41,185 घन मीटर)

तातापानी भू-तापीय क्षेत्र, ग्राम-तातापानी, तहसील-बलरामपुर, जिला-बलरामपुर में गढ़वा-अम्बिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 343 पर अम्बिकापुर से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India-GSI) के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के ग्राम तातापानी, जिला बलरामपुर में भू-गर्भीय क्षेत्र को चिन्हित कर 350-360 मीटर गहराई के बोरवेल खनन उपरांत बोरवेल से प्राप्त गर्म जल के अध्ययन के आधार पर भूतापीय विद्युत उत्पादन हेतु उपयुक्त पाया गया। National Thermal Power Corporation Ltd. – NTPC द्वारा तैयार विस्तृत जियोलाजीकल प्रोग्रेस रिपोर्ट (डीजीपीआर) के अनुसार 1500 मीटर की गहराई पर लगभग 9.25 वर्गकिलोमीटर का गर्म जल का स्त्रोत है जिससे लगभग 30 मेगावाट विद्युत उत्पादन संयंत्र की स्थापना की जा सकती है।

प्रदेश के विद्युतविहीन तथा वनाच्छादित क्षेत्रों में निवासरत् ग्रामीण, आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति के जनसामान्य को गर्म जल की उपलब्धता कराये जाने के प्रयोजन से राज्य शासन द्वारा मुख्यतः स्वास्थ्य केन्द्रों तथा आदिवासी छात्रावासों में सौर गर्म जल संयंत्र परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना के माध्यम से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में सामान्यतः उपयोग किये जाने वाले गीज़र (पारंपरिक ऊर्जा चलित) के स्थान पर अपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने हेतु भी इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। परियोजना के क्रियान्वयन से न सिर्फ ग्रामीण एवं विद्युत बाधित क्षेत्रों में रहने एवं अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं को गर्म पानी की उपलब्धता हुई है, अपितु शहरी क्षेत्रों में भी क्रेडा द्वारा इन संयंत्रों की स्थापना कर ऊर्जा संरक्षण का कार्य संपादित किया गया है। अब तक 23,22,025 एल पी डी क्षमता गर्म जल संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है।

सूरज से प्राप्त किरणों से प्राप्त प्रकाश का उपयोग विद्युत उत्पा दन में किया जाता है, सूरज से ऊर्जा प्राप्त करने के माध्यम में ना केवल उसका प्रकाश अपितु सूरज के किरणों से प्राप्त गर्मी का उपयोग भी किया जाता है। इस प्रकार से प्राप्त ऊर्जा को सौर तापीय ऊर्जा कहा जाता है। क्रेडा द्वारा इस तकनीक से चलित सोलर स्टीम कुकिंग संयंत्र, सोलर एयर कंडिषनिंग संयंत्र, सोलर गर्म जल संयंत्र, सोलर कुकर संयंत्रों के स्थापना/प्रदाय कार्य किया जा रहा है।

इस योजना का उद्येश्य राज्य के विभिन्न शासकीय संस्थानों में जहां, भोजन निर्माण के लिए अधिक मात्रा में गैस सिलेंडर अथवा लकडी का उपयोग किया जाता है वहां सौर तापीय तकनीक पर आधारित संयंत्र के माध्यम से भोजन पकाने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराना है तथा साथ ही ऐसे शासकीय संस्थान/भवन जहां एयर कंडिषनिंग के कारण अधिक बिजली बिल आता है वहां सौर तापीय तकनीक पर आधारित संयंत्र के माध्यम से एयर कंडिषनिंग की व्यवस्था उपलब्ध कराना है साथ ही गर्म जल उपलब्धता हेतु सौर गर्म जल संयंत्रों की स्थापना किया जा ना है। इन संयंत्रों की स्थापना कर शासन तथा संस्थाओं/ नागरिकों को अनावश्यक रूप से हो रही आर्थिक हानि को जहां तक हो सके कम करना है।

छत्तीसगढ़ राज्य में रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम तथा कोटमी सोनार में क्रेडा द्वारा ऊर्जा शिक्षा उद्यान की स्थापना की गई है। इन उद्यानों में अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों के उपकरण एवं संयंत्र पूर्ण जानकारी के साथ प्रदर्शित किये गये हैं। जिसके अंतर्गत नये माॅडल, लैंडस्केपिंग, आकर्षक फ्लाॅवर बेड का डिजाईन व मनोरंजन के संसाधनों में वृद्धि की गई है जिसे आम पर्यटक द्वारा नये उमंग व रोचक जानकारी के साथ रमणीक स्थल के रूप में पसंद किया जा रहा है । दुर्ग जिल के विकासखण्ड पाटन में नये ऊर्जा शिक्षा उद्यान की स्थापना की जा रही है।